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हमरोॅ गाँव – अंगिका कविता – डॉ. परमानन्द पाण्डेय

हमरोॅ गाँव – अंगिका कविता – डॉ. परमानन्द पाण्डेय

हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

भागलपुर सें तीन कोस दक्खिन आ पूरब जानेंगोनू बाबाधाम सें पूरब पौने कोस बखानेंउत्तर हिरा भड़ोखर सटले दोनों एक समान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

जेकरोॅ गरदाँ-धुरदाँ लोटलाँ, जहाँ बितैलाँ बचपनजेकरोॅ खेत, नदी, बगिया में रमलोॅ छै हमरोॅ मनजे माटी रोॅ रस में भिजलोॅ हमरोॅ तन-मन-प्रान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

छेली हमरी माय वैष्णवी किरतन-भजन सिखैलकीसुख-दुख सहि पोसी-पाली केॅ हमरा बड़ोॅ बनैलकीधरमी माता सीता देवी, वरण-कमल में ध्यान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

क्रान्तिकारी पिताजी चुनचुन पाँड़े नाम उजागरनाग घोष के साथी जे, अङरेज डरै जिनकोॅ डरईस-देश-साहित्य-प्रेम उपजैलथिन पिता महान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

दीदी बड़ी सुदामा देवी श्यामा बहिन दुलारीसरोसती-लक्ष्मी रङ दोनों नैहर-सासुर प्यारीदोनों असमय विदा लेलकी गेली देश बिरान हो ।हमरोॅ सुन्दर गाँव हो, रामपुर भगमान हो !

भैया पंडित नन्द सच्चिदा जिनकोॅ …

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  • December 3, 2023
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डॉ. परमानन्द पाण्डेय – Dr. Permanand Pandey

डॉ. परमानन्द पाण्डेय – Dr. Permanand Pandey

Dr. Parmanand Pandey is called the father of Angika.

Dr. Parmanand Pandey was a poet. He crafted Angika the way a jeweler crafts a diamond. His creative personality has mesmerized many readers and his fellow language scientists. It is only because of his efforts that Angika language is now taught in the post-graduation program in Tilkamanjhi Bhagalpur University.

/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-image{text-align:center}.elementor-widget-image a{display:inline-block}.elementor-widget-image a img[src$=".svg"]{width:48px}.elementor-widget-image img{vertical-align:middle;display:inline-block}

डॉ. परमानंद पांडे

जन्म : 18 दिसंबर, 1919, भागलपुर

डॉ. परमानन्द पांडेय की रचनाएँ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

He worked on Angika grammar, spelling, comparative study of Angika and Bhojpuri and interrelation between Angika and Hindi. He had published a handwritten Magazine ‘Chaanan’ in A…

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  • December 3, 2023
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डॉ. अमरेन्द्र – Dr. Amarendra

डॉ. अमरेन्द्र – Dr. Amarendra

हिन्दी और अंगिका में विपुल साहित्य के सर्जक डॉ. अमरेन्द्र का जन्म, बिहार के पुराने जिले भागलपुर के बाँका अनुमंडल (अब जिला) के रजौन थानान्तर्गत, पौराणिक नदी चानन नदी के पूर्वी छोर पर बसा रुपसा (रूपसार) गाँव में पाँच जनवरी उन्नीस सौ उनचास ई. में  हुआ । अपने पिता के बाहरी और आन्तरिक व्यक्तित्व से संपन्न, इन्होंने आरंभ में तो सवैया और कवित्त छंदों में काव्य-सर्जना आरंभ की, लेकिन बाद में उर्दू शैली से प्रभावित होकर देवनागरी में भरपूर ग़ज़लें कहीं, और नज़्में भी । यह क्रम काँग्रेस-काल में आपात-काल की घोषणा से लेकर सन दो हजार पाँच ई. के आसपास तक जारी रहा । बाद में इन्होंने अपनी सृजनशीलता के वेग को, जनपदीय आन्दोलन से प्रभावित होकर, अपनी मातृभाषा के संपूर्ण विकास की ओर मोड़ दिया और इस तरह अपने सर्जक व्यक्तित्व को राष्ट्रभाषा के साथ-साथ मातृभाषा की सेवा में समर्पित कर दिया, जो आज भी उसी रूप में अडिग है ।

/*! elementor - v3.7.2 - 21-08-2022 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#2c2c2c;--divider-icon-size:20px;--div…
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  • December 3, 2023
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हीरा प्रसाद “हरेन्द्र” – Heera Prasad “Harendra”

हीरा प्रसाद “हरेन्द्र” – Heera Prasad “Harendra”

अंगिका के महाकवि आरो अवकाश प्राप्त कुशल प्रधानाचार्य श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र जी के जन्म ६ सितम्बर १९५० क भागलपुर (बिहार) के सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत कटहरा मेँ होलै | हिनी शिक्षण करते हुए लगातार अंगिका भाषा के सेवा में लागलौ रहलै | हिनको पहिलो अंगिका काव्य संकलन "उत्तंग हमरो अंग" प्रकाशित होलै आरो तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल होलै तहिया से आय तक नौ (९) महत्वपूर्ण प्रबंध काव्य कृति प्रकाशित होलै | श्री हीरा प्रसाद हरेंद्र जी के निधन 16 मई 2024 केॅ हो गेलै।  हिनको शिक्षा दीक्षा स्थानीय शैक्षणिक संस्थानों में ही होलै।  हुनी पेशा सेॅ स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक रहै। सरकारी सेवा सेॅ अवकाश ग्रहण के बाद, सुल्तानगंज में अपनो आवास नया घोॅर बनाय केॅ साहित्यिक गतिविधि में बनलोॅ रहलै।

/*! elementor - v3.20.0 - 20-03-2024 */ .elementor-widget-divider{--divider-border-style:none;--divider-border-width:1px;--divider-color:#0c0d0e;--divider-icon-size:20px;--divider-element-spacing:10px;--divider-pattern-height:24px;--divider-pattern-size:20px;--divid…
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  • December 3, 2023
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पीवी उल्फत के जाम – अंगिका कविता – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र – Pivi Ulfat Ke Jaam – Angika Poem – Heera Prasad Harendra

पीवी उल्फत के जाम – अंगिका कविता – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र – Pivi Ulfat Ke Jaam – Angika Poem – Heera Prasad Harendra

पीवी उल्फत के जाम, मने-मन सोचै छी,सब आशिक छै बदनाम, मने-मन सोचै छी ।

फूहड़ घासोॅ सें बाग-बगीचा छै भरलोॅ,केना खिलतै गुलफाम, मने-मन सोचै छी ।

घर-घर होलै परचार विदेशी चीजोॅ के,अब होतै की अंजाम, मने-मन सोचै छी ।

कम्बल ओढ़ी जब घी पीवी मोटैलोॅ छोॅ,लागै छोॅ सब सद्दाम, मने-मन सोचै छी ।

बेटी बनलै अभिशाप, दहेजोॅ के चलतें,बेटी सें विधाता बाम, मने-मन सोचै छी ।

छै माल-मवेशी भरलोॅ सड़कोॅ पर पड़लोॅगीद्धो गेलै सुरधाम, मने-मन सोचै छी ।

चन्दन के मोल कहाँ बूझै छै सब ‘हीरा’बेचै लकड़ी के दाम, मने-मन सोचै छी ।

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  • December 3, 2023
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राधा – वन्दना – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – वन्दना – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी।जयति जय वृषभानुबाला जयति जय अघ हारिणी॥

नाम तोरोॅ पाप नाशक, नाश पापोॅ के करोॅ।दुखमयी धरती-धरा के, शीघ्र तों विपदा हरोॅ॥यातना यम के भगाबोॅ, त्रास मेटनहार छोॅ।भक्त हितकारी धरा पर, भक्त के आधार छोॅ॥

मांगलिक हर क्षण बनाबोॅ, आय मंगलकारिणी।जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी॥

बुद्धि कुछ अहिनों भरोॅ, बीतै समय गुणगान मेॅ।भाव सें भरलोॅ रहै भंडार तन-मन-प्राण में॥अर्चना, अभ्यर्थना, अनुनय-विनय, हियहार छै।पद पखारन लेॅ बहाबै नैन निर्मल धार छै॥

प्राण ‘हीरा’ अब करै उत्सर्ग हे जगतारिणी।जयति जय जय राधिका जय, जयति संकट टारिणी॥

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  • December 2, 2023
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राधा – अध्याय 9 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 9 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

नद्दी नाला गंगा जल सें,मिलथैं मन हर्षाय।गंगा अकुलैलोॅ-बकुलैलोॅ,सागर बीच समाय॥1॥

चानोॅ सें चाननी सुरुज सें,किरण अलग न´् होय।ब्रह्म जीव नै अलग वोहिनाँ,कहै एक सब कोय॥2॥

जड़-चेतन सब्भै के आशा,इष्ट चरण लपटाय।मधुर मिलन सुख सार धरा पर,सगरे सब्भैं गाय॥3॥

ब्रह्मा जीव दोनों छै सुन्ना,सुन्ना सगरे छाय।सुन्ना सें जों निकलै सुन्ना,बचिये सुन्ना जाय॥4॥

एक संात, दोॅसर अनंत फनु,पावै एक्के रूप।सच कहिहौ ई जीव ब्रह्म केॅ,अद्भुत कथा अनूप॥5॥

जीव बिना छै, ब्रह्म अधूरा,ब्रह्म बिना की जीव?बड़का-बड़का महल-अटारी,सबसें नीचें नीव॥6॥

ब्रह्मों छेकै जीवन धारा,वै धारा मेॅ मोॅन।ऊबै-डूबै मतवाला रङ,की संपत, की धोॅन॥7॥

धारा जब उलटै, पाबै छी,सुन्दर राधा नाम।प्रेम जगत् के सर दिखाबै,निष्कलंक, निष्काम॥8॥

राध् धातु संगे अच् प्रत्यय,आरू टाप् मिलाय।राधा पावन प्रेम-पहेली,कान्हा हिये समाय॥9॥

राधा-मोहन छै अविनाशी,रूप, अरूप, स्वरूप।राधा गोरी, श्याम सलोना,मोहन युग्म अनूप॥10॥

कला साथ सोलह धरती पर,मनमोहन अवतार।अभिमानी के मान घ…

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राधा – अध्याय 8 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 8 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

मोहन जब से छोड़ी गेलै,राधा, गोकुल धाम।तब सें राधा चैन नैं पाबै,कखनूँ सुबहो-शाम॥1॥

वृन्दावन, वंशीवट सूना,सूना यमुना धार।कदमी डारें टँगलोॅ झूला,सब लागै बेकार॥2॥

सदा सुहानोॅ लागै मधुवन,गुंजै मुरली तान।अब राधा-मोहन बिन मधुवन,लागै छै सुनसान॥3॥

रीति रंग सब बदली गेलै,बदलै सदा-बहार।झलकै सगर विषाद जहाँ पर,हरदम हर्ष अपार॥4॥

राधा हौ गोकुल नगरी मेॅ,बैठी ध्यान लगाय।कृष्ण नाम ही जपै निरंतर,कृष्ण नाम ही गाय॥5॥

चललै नारद बनी खबरिया,गोकुल राधा पास।धरी डगरिया छोड़ नगरिया,मन मेॅ हर्ष-हुलास॥6॥

डगर-डगर पर सगर अन्हरिया,सूरज जाय नुकाय।हवा चलै तब हिलै टहनिया,मुखड़ा दै चमकाय॥7॥

पपिहा पिउ-पिउ गाबै पल-पल,कोयल मारै तान।भौंरा के पंखोॅ सें भन-भन,निकलै सुन्दर गान॥8॥

लत्तर भरलोॅ गाछ-गछेली,काँटोॅ पर छै फूल।फूल-फूल पर भौंरा डोलै,खोलै भेद न भूल॥9॥

ढकमोरै आमी के मंजर,गाछे लागै मोर।वै मेॅ छिपलोॅ कखनूँ झलकै,कोयल करिया भौर॥10॥

आहर-पोखर पानी भरलोॅ,सीढ़ी बनलोॅ घाट।कहियो राधा घाटें बैठी,जोहै छेली वाट॥11॥

रा…

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राधा – अध्याय 7 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 7 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

प्रभु लीलाधारी के लीला,अबेॅ कहौं की भाय।बसै द्वारिकाधीश द्वारिका,सागर बीच बनाय॥1॥

रुक्मिणी, जामवंती आरू,सतभामा के संग।हँसी-खुशी सब समय बिताबै,खूब जमाबै रंग॥2॥

पटरानी के संगें खेलै,चौसर, रास-विलास।छैलोॅ मुद-मंगल सब्भे ठाँ,खूबे हर्ष-हुलास॥3॥

लेकिन राधा मन-मंदिर सें,कभी दूर नै जाय।मोहन बिना अकेली राधा,राधा बिनु यदुराय॥4॥

एक दिनाँ के बात सुनाबौं,कृष्ण द्वारिका धाम।खूबे नाचै, खुशी मनाबै,गाबै राधा नाम॥5॥

रानी, पटरानी सब चौंकै,सुनि कान्हा के बात।घेरै सब्भैं दौड़ी आरू,कसी पकड़ै हाथ॥6॥

हमरा सीनी साथ रहै छी,हर पल आठो याम।कहियो न´् निकलै छौं मूँ सें,हमरा सबके नाम॥7॥

की देखै छोॅ राधा मेॅ तों,गाबै छोॅ गुणगान।सुनियै राधा रानी के गुण,बढ़िया करोॅ बखान॥8॥

सेवा के फल मेवा लागै,हम्हुँ सब जानौं खूब।हमरा बरतै झरकी आरू,तोरा बरथौं हूब॥9॥

राधे कैसें याद करै छोॅ,हमरा सबके बीच।श्याम बतावोॅ बोलै रानी,बंशी मुख सें खीच॥10॥

हाँस्से आरू बोलै कान्हा,ढेर करोॅ नै तंग।जे गाबै छी आबोॅ सब्भैंगाबोॅ हमरा संग॥11॥ Read more about राधा – अध्याय 7 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

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राधा – अध्याय 6 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 6 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा-मोहन कथा-कहानी,जतना कहलोॅ जाय।सब लागै छै थोड़े टानी,मनमाँ कहाँ अघाय॥1॥

सब्भे सखियन बेचैनी सें,खोजै बहुत उपाय।केना रोकौं मनमोहन केॅ,जैतें मथुरा आय॥2॥

जखनी मोहन मथुरा चललै,छोड़ी गोकुल धाम।कोय सखी पहिया तर बैठै,पकड़ै कोय लगाम॥3॥

राधा तड़पेॅ समझ जुदाई,खूब बहाबै लोर।मत जा कान्हा, मत जा कान्हा,खूब मचाबै शोर॥4॥

प्राण बिना जेना तन सूना,चन्दा बिना चकोर।कोयल बिना बसन्त अधूरा,श्यामल घन बिन मोर॥5॥

मणि बिनु मणियर जीव विकल ज्यों,जल बिन विह्वल मीन।कुंज गली, यमुना तट, राधा,मनमोहन बिन दीन॥6॥

पंख कटलका पक्षी नाक्ती,राधा अति लाचार।मनमोहन बिन सूना-सूना,लागै जग-संसार॥7॥

सौ-सौ वादा करलक मोहन,खैलक किरिया ढेर।लौटी ऐबै जल्दी मानोॅ,कहाँ लगैबै देर॥8॥

बढ़लोॅ आगू बड़ी कठिन सेॅ,रथ समझाय-बुझाय।मंत्र मोहनी मनमोहन के,दै छै भूत भगाय॥9॥

तब सें राधा कृष्ण याद मेॅ,जपे कृष्ण के नाम।वृन्दावन के रास रचइया,जय-जय हे सुखधाम॥10॥

कंशराज मथुरा नगरी के,रस्ता मोंन लुभाय।कृष्ण चन्द्र बलदाऊ दोनों,खूब चलै अगुआय॥11॥

…
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राधा – अध्याय 5 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 5 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

अक्रूरे कंशोॅ के खिस्सा,सब्भै बीच सुनाय।कान्हा-बलदाऊ बात सुनी,मन्द-मन्द मुस्काय॥1॥सोचै कान्हा कंश राज के,आबी गेलै काल।ठीक जल्दी होतै ओकरोॅ,हाल बड़ी बेहाल॥2॥नन्द बाबा करिये देलकै,यही बीच एलान।धनुष यज्ञ, मथुरा के शोभा,निरखन करेॅ पयान॥3॥बाबा के एलान सुनी सब,मथुरा वाली बात।गोपियन सब मुरझाई गिरै,अँखियन मेॅ बरसात॥4॥बितलोॅ कथा-कहानी सोचेॅ,कृष्णोॅ के मुस्कान।तन श्यामल घन, चंचल चितवनबाँसुरिया के तान॥5॥वृन्दावन के रास रचलका,घुँघरैलोॅ ऊ बाल।सखियन सब पर वाण चलाबै,मनमोहन के चाल॥6॥कोय तेॅ अक्रूर पेॅ बरसै,गाली दै दू-चार।बड़ा दुष्ट तों हमरा सबकेॅ,देल्हो कष्ट अपार॥7॥क्रूर तोंय, अक्रूर कहाँ सें,नाम रखलखौं माय।दोसरा के दरद की बुझभेॅजे बोलोॅ चिकनाय॥8॥छै अक्रूर कहा निर्मोही,सुन्दर बात बनाय।बाबा केॅ यें मोही लेलक,अब की करबोॅ दाय॥9॥दोष तोरोॅ छौं हे बिधाता!अक्रूर बनी आय।तोहीं कान्हा प्रेम-पाश सें,छोॅ रहलोॅ बिलगाय॥10॥एगो बात विचित्र सखी छै,मनमोहन चितचोर।कखनू नैं ताकै हमरा सब,लागै बड़ी कठोर॥11॥मन देखै छी जाई कान्हा,घुरतै मथुरा हाट।ई छलिया केॅ प्रेम करै के,लागी गेलै चाट॥12॥सब्भैं बूढ़ें बापें, दादा,क…

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राधा – अध्याय 4 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 4 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

मोहन मधूवन झूला झूलै,सुनोॅ उधर के बात।अभिमानी कंशासुर काफी,करै रोज उत्पात॥1॥

वासुदेव सेॅ हारी-पारी,वसुदेव संग आय।उलटा-पुल्टा, गरजी-भूकी,खूबे धूम मचाय॥2॥

खिसियैली बिल्ली खंभा केॅ,नोचै जेनाँ आय।वोहिनाँ बौखलाबै कंशो,वसुदेवोॅ लग जाय॥3॥

वासुदेव केॅ खूब सताबै,कंशें हर दिन-रात।उनकोॅ दशा निहारी नारद,बोलै सुन्दर बात॥4॥

कंशराज! कान्हा-बलदाऊ,वसुदेवोॅ के लाल।ऊ दोनों केॅ छोड़ी तोरोॅ,तेसर के छौं काल॥5॥

बिन कसूरी वसुदेव जी पेॅ,बरसै छोॅ दिन-रात।देवकी बहिन के संकट मेॅ,पड़लोॅ छै अहिवात॥6॥

निर्दोष केॅ तकलीफ देना,छै अनुचित, अन्याय।अन्यायी के जन, धन-संपद,राज रसातल जाय॥7॥

नारद बाबा के वाणी सें,कंशो कुछ नरमाय।भेज दूत तब अक्रूरोॅ केॅ,लेलक तुरत बुलाय॥8॥

कंश कहै तब अक्रूरोॅ सें,सोचोॅ कोय उपाय।लानी झट केन्हों कान्हा के,शेखी दहो भुलाय॥9॥

धनुष यज्ञ, मथुरा के शोभा,देखन लेॅ बोलाय।कल-बल-छल सें जेना सपरै,देबै सीख सिखाय॥10॥

पीड़ कुबलिया अपनोॅ लाती,भरता देत बनाय।चाणुर मुष्टिक मुक्खैं-मुक्खैं,कटहर देत पकाय॥11॥<…

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राधा – अध्याय 3 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 3 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

हुट्ठी कंश रहै बड़ा, जानै सब संसार।जानी बूझी हर घड़ी, करै सदा तकरार॥करै सदा तकरार, शान्ति के दुश्मन छेलै।अस्त्र-शस्त्र के साथ, हमेशा खेला खेलै॥उत्पाती भी खूब, करै राजा के कुट्टी।लोग सदा भयभीत, रहै अहिनों ऊ हुट्ठी॥1॥

सगरे छैलै ओकरोॅ मनमानी के राज।ढेरी राजा के छिनै, माथा पर के ताज॥माथा पर के ताज, छिनी कारागृह भेजै।शोकाकुल नृपराज, बहुत्ते जीवन तेजै॥सुनी असुर के नाम, हमेश काँपै नगरै।त्राहिमाम के शोर मचाबै सब्भैं सगरे॥2॥

प्यारी बहिना देवकी, खेलै संगे साथ।चललै चर्चा एक दिन, शादी केरोॅ बात॥शादी केरोॅ बात, बसुदेव ब्याहन ऐलै।चारो तरफ उमंग, द्वार-घर-आँगन छैलै॥सजलै दुल्हन रूप, सजाबै सखियन सारी।शोभा केरोॅ धाम, लखै तब बहिना प्यारी॥3॥

शादी के सब काज, पूरा होलै धूम सें।हँसी-खुशी के राज, झलकै चारो दिश सदा॥4॥

माय बहाबै लोर, चिन्तित मनमा बाप के।गाबै भोरमभोर, गीत गला फाड़ी सखी॥5॥

कानी-कानी माय, लिपटी गल्ला सें कहै।रखिहोॅ स्वर्ग बनाय, जा बेटी ससुराल केॅ॥6॥

देवकी, बसुदेव सें ब्याही,जब चलली ससुराल।कंशो चलै बनी लोकनिया,पहुँचाबेॅ तत्काल॥7…

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राधा – अध्याय 2 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 2 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

सुता एक वृषभानु घरोॅ मेॅ,सुन्दर परम अनूप।चम्पकवर्णी, गोरी-गारी,रहै मनोहर रूप॥1॥

ऐथै दुख-तकलीफा भागलै,छैलै हर्ष अपार।बढ़ै रुहानी गाँव घरोॅ के,लगै गाँव गुलजार॥2॥

जकरा धरती पर ऐला सें,छैलै खुशी तमाम।माय-बाप सब सोची-सोचीराखै ‘राधा’ नाम॥3॥

राधा घर ऐंगन मेॅ नाची,सबके मन लोभाय।हुन्नें बाबा नंद ऐंगना,कान्हा धूम मचाय॥4॥

डेगा-डेगी भागी-भागी,नाचै गाबी गीत।स्वर्ग धरा पर उतरी ऐलै,लागै मन परतीत॥5॥

हिन्नें मोहन, हुन्नें राधा,दोनों सुख के खान।नाचै, काबै, दौड़ी-धूपी,आँगन, घोॅर, बथान॥6॥

घूमै घर-घर जाय, दुलारी राधा रानी।झगड़ा कखनूॅ मेल, करै सगरे मनमानी॥बढ़लै जल्दी ढेर, सयानी लागेॅ लगलै।माय हिया अरमान, देखी केॅ जागेॅ लगलै॥7॥

राधा के परिवार, बिहा के सगुण उचारै।बाबा जी के बात, वहाँ पर मोॅन बिचारै॥मन-मन सोचै माय, देखताँ कोनों लड़का।शादी मेॅ अरमान पुरैबै बड़का-बड़का॥8॥

जहाँ चाह छै राह वहाँ पर सगरे मिलतै।सही लगन जों पास, विघ्न-बाधा सब हिलतै॥लोग कहै रायान नामके लड़का छेलै।जकरा संगे ब्याह, तुरत राधा के होलै॥9॥

स…

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  • December 2, 2023
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राधा – अध्याय 1 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

राधा – अध्याय 1 – हीरा प्रसाद ‘हरेन्द्र’ – अंगिका काव्य

नटनागर करूणा के सागर,मुरलीधर घनश्याम।नइया पार लगाबै सबके,जौनें गाबै नाम॥1॥

हर पल हर संकट मेॅ कान्हा,हेरै सब पर आँख।ओकरोॅ सुधि बिसारै भल्ले,जकरा होल्हौं पाँख॥2॥

प्रभु के महिमा बड़ा गजब छै,इ-टा पार के पाय।प्राणी छै हौ धन्य जगत् मेॅजे नैं नाम भुलाय॥3॥

करै मरै बेरी तक मारिच,रावण केरोॅ काम।ताके अंतर प्रेम परेखी,प्रभु दै अपनोॅ धाम॥4॥

हरिश्चन्द्र अहिनों के सच्चाउनको पूरै बीध।ईश कृपा सें तरै अजामिल,आरू जटायु गीध॥5॥

बड़का-बड़का महा-पातकी,पहुँचै उनकोॅ धाम।जे भूल्हौ-चूकौं सें लेलक,कहियो उनकोॅ नाम॥6॥

भस्मासुर सें डरलोॅ भागै,भोले सम भगवान।मोहनियाँ रूपोॅ सेॅ राखै,शिव-शंकर के मान॥7॥

आँख आंधरोॅ केॅ दै आरूबैहरोॅ केॅ दै कान।कोढ़ी केॅ दै सुन्दर काया,गूँगा सहज जुवान॥8॥

लँगड़ा-लूल्हा दौड़ी-दौड़ी,होवै पर्वत पार।राम नाम हर पल सुखकारी,सब दुख मेटनहार॥9॥

ध्रुव के अहिनों नाबुध बालक,हरदम हरि गुण गाय।धु्रवतारा अखनी चमकै छै,अचल परम पद पाय॥10॥

लाजो राखै दु्रपदसुता के,कान्हा चीर बढ़ाय।दुस्सासन के मान मिटाबै…

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  • December 2, 2023
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सिंदूरदान – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Sindoordaan – Angika Geet – Arpita Choudhary)

सिंदूरदान – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Sindoordaan – Angika Geet – Arpita Choudhary)

उठो उठो सिया बेटी करो तोय सृंगार हे, उठो उठो सिया बेटी करो तोय सृंगार हे, आबि गेले रामचंद्र लेकै बारात हे …2आबि गेले रामचंद्र ………!!

सोने के सिंधौरा लेले सखी सब ठार हे, सोने के सिंधौरा लेले सखी सब ठार हे, उठो उठो रामचंद्र कर सिंदूर दान हे…2उठो रामचंद्र………..!!

राम सीता जोड़ी देखी मनमा लुभाय हे,राम सीता जोड़ी देखी मनमा लुभाय हे, आबो सुनैना रानी देखी ल जमाई हे..2 आबो सुनैना रानी……..!!

कोय नै कमी छै रघुबर जोड़ी के शानमें…….2राम सीता जइसन जोड़ी देखला नै जहान में ….2राम सीता जइसन……..!!

~अर्पिता चौधरी।

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  • November 30, 2023
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अंग परदेश में बसबै – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Ang Pardesh Men Basbai – Angika Geet – Arpita Choudhary)

अंग परदेश में बसबै – अंगिका गीत – अर्पिता चौधरी (Ang Pardesh Men Basbai – Angika Geet – Arpita Choudhary)

आपनो कर्ण राजा के भूमी पे रहबेॅ, अंग परदेश में बसबेॅ -2हमरा नैय चाहीयौ चारों धाम, अंग परदेश में बसबेॅ-2

साग भात दूयै रोटी भौरे सांझ खैयबे ,अंग परदेस में बसबेॅ-2हमरा नैय चाहीयौ सुख आराम , अंग परदेश में बसबेॅ-2

जोना विधि रखबो भैया उन्हें विधि रहबेॅ, अंग परदेश में बसबेॅ-2राम राम रटबेॅ आठो याम,अंग परदेश में बसबेॅ-2!

- अर्पिता चौधरी

https://youtu.be/WKTtqij108s?si=T04-G4wReb3mUbQk
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  • November 29, 2023
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Educational Institutes in Bhagalpur

Educational Institutes in Bhagalpur

Click here to see the complete list of educational institutes in Bhagalpur 

Bhagalpur College of Engineering

 

Bhagalpur city has a number of reputed educational institutions catering to various areas of study like medicine, Law, engineering, agriculture, arts and science.

Police Training Academy Constable Training School (CTS), Nathnagar, Bhagalpur- currently trains Bihar police personnel from constable up to Dy SP rank. It was set up in 1905. University Tilka Manjhi Bhagalpur University Bihar Agricultural University, Sabour Medical Colleges Jawahar Lal Nehru Medical College, Bhagalpur,(Government) K N H Medical College and Hospital, Mayagunj Engineering & Technology College Bhagalpur College of Engineering Colleges T.N.B. College, Bhagalpur Marwari College, Bhagalpur Sunderwati Mahila College T.N.B. Law College Bhagalpur National College Muslim Minority College Mahadev Singh College Gajadhar Bhagat…
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  • November 9, 2022
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रत्नेश्वर नाथ धाम, गोड्डा (Ratneshwar Nath Dham) – Godda

रत्नेश्वर नाथ धाम, गोड्डा (Ratneshwar Nath Dham) – Godda

Ratneshwar Nath Dham is situated near the picturesque bank of river Kajhiya situated in Shivpur Mohalla in the district headquarters. This Shiva temple is the center of faith of all the devotees of this region. Devotees come here throughout the year to seek their wishes. Devotees gather here in the month of Sawan.

Rathneshwar Nath Dham, Godda

On every Monday of Sawan, Kanwariyas perform Jalabhishek on foot from various ghats of river Ganga here. In the month of Saman, the temple and the surrounding area resonate with the songs of Bolbam, Har Har Mahadev and devotional songs.

Historical background:

According to the belief, the Shivling of Ratneshwar Nath Dham temple was established five hundred years ago by the Shivling Khoji group of sadhus.

It is said that earlier there used to be light of Nagmani in the temple premises. Shivling was obtained by excavating this place. Hence the name of this Dham was named as Ratneshw…

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  • August 2, 2022
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सिंहेश्वरनाथ धाम व गुड़मेश्वर धाम, गोड्डा (Singheshwar Dham & Gudmeshwar Dham) – Godda

सिंहेश्वरनाथ धाम व गुड़मेश्वर धाम, गोड्डा (Singheshwar Dham & Gudmeshwar Dham) – Godda

Singheshwar Nath Dham Mandir, Godda

Very ancient Singheshwar Nath Mahadev Temple is located in Podaihat, just eight km away from the block headquarter, near Podaihat - Hansdiha main road. A large number of devotees from far-flung areas pay their obeisance here.

Its importance increases due to its location at the confluence of three rivers. It is situated on the sangam of three rivers. The three rivers that meet her are Baghmati, Taramati and Triveni. The natural shade here is unique.

There is an ancient tradition of worshiping after marriage in this temple. Newly married couples reach here with successful married life and progeny. This tradition is four hundred years old.

Singheshwar Nath Dham Mandir, Godda

The history of the temple is very old. 443 years ago, King Bhimsen is said to have built Singheshwar Nath temple on Triveni bank. Which has historical evidence as well. There are many stories about the importance of Singhesh…

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  • August 2, 2022
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मां सिंह वाहिनी मंदिर, गोड्डा (Ma Singhwahini Mandir) – Godda

मां सिंह वाहिनी मंदिर, गोड्डा (Ma Singhwahini Mandir) – Godda

Ma Singhwahini Mandir, Godda

Situated at the confluence of three rivers near Godda-Pakur main road, eight km away from the water headquarters, Singhwahini Dham is the center of faith.

Singhvahini Dham is situated at the confluence of Kajhia and Jatjori river near Jamni village. One has to cross a river to get there. This place is important from historical point of view.

There is an influx of devotees and devotees throughout the year. The people of this region start the new year with worship in the court of Maa Singhvahini.

History

In ancient times., on the banks of the river, there was strong hold of Maheshpur kingdom, ruled by King Padmasena. At some distance from there, a golden statue of Maa Singhwahini was installed at a very beautiful place in the deserted wilderness, where the king used to worship. At some distance from there, sage Jaimini used to offer worship in the hut of clumps. Maa Singhvahini was worshiped…

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  • August 1, 2022
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