शहर में पानी की बर्बादी काे राेकने काे लेकर किसी तरह का जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है। यह स्थिति तब है जबकि हर साल शहर का जलस्तर डाउन हाेता जा रहा है, गंगा भी शहर से साल दर साल दूर हाेती जा रही है। लेकिन बारिश के पानी काे भी संरक्षण करने की व्यवस्था यहां नहीं है। 525 कराेड़ रुपए से जलापूर्ति याेजना पर काम कर रही एजेंसी बुडकाे भी अपने जलमीनाराें से पानी सप्लाई करने के बाद नलाें में टैब नहीं लगा रही है।
लिहाजा बरारी हाउसिंग बाेर्ड जलमीनार इलाके से आपूर्ति की जानेवाली पानी की बर्बादी हाे रही है, यही हाल बरारी वाटर वर्क्स से जनता नल के कनेक्शन का है। जहां न टैब लगे हैं न लाेग इसकी बर्बादी राेक रहे हैं। वाटर हार्वेस्टिंग पर काम करने वाले बनारस के एक्सपर्ट सजल श्रीवास्तव ने तीन साल पूर्व शहर का दाैरा कर निगम व जनप्रतिनिधियाें काे चेताया भी था कि अब भी नहीं सजह हुए ताे स्थिति और भी खराब हाेगी। इसके बाद भी नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम काे अनिवार्य ताैर पर लाेगाें के घराें में लागू नहीं करवाया।
उन्हाेंने बताया था कि भागलपुर के शहरी इलाके के 2569 किलाे…